Beta version website

Table of Contents

卐 || श्री सूर्य देव चालीसा || 卐

मंद सदृश सुत जग में जाके, धर्मराज सम अद्भुत बांके॥16॥

धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा, किया करत सुरमुनि नर सेवा॥

भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों, दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥17॥

परम धन्य सों नर तनधारी, हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥

अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन, मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥18॥

भानु उदय बैसाख गिनावै, ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥

यम भादों आश्विन हिमरेता, कातिक होत दिवाकर नेता॥19॥

अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं, पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥20॥

॥ दोहा ॥

सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥

भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य,

**************  जय जय सूर्य देव ************** 

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *